लेखनी प्रतियोगिता -23-Dec-2022 दादी मां
मसूरी से आ आगे, चंपा के पहाड़ के पास 15 ,16 घरों का एक छोटा सा गांव था।
इस गांव में दादी अपने पोते शम्मी और रवि पोती रक्षा के साथ खुशी से जीवन बिता रही थी।
दादी अपने पोते पाती को उनके माता-पिता की कभी भी कमी महसूस नहीं होने देती थी। इन बच्चों के माता पिता का स्वर्गवास हो चुका था। तीनों बच्चे भी दादी से बहुत प्यार करते थे।
दादी घर का खर्चा गाय भैंस का दूध बेचकर चलाती थी। दादी बहुत ही आत्मविश्वास और मजबूत इरादे की थी।
रक्षा शम्मी रवि भी घर के कामों में दादी की पूरी मदद करते थे। दादी को दुख पहुंचे ऐसा काम, यह तीनों अनजाने में भी नहीं करते थे।
विद्यालय से आकर खाना खाने के बाद, यह तीनों दादी के पास ही खेलते रहते थे। शाम को विद्यालय का होमवर्क करने के बाद दादी के साथ खाना बनाने में मदद करते थे।
एक दिन खाना खाते हुए रक्षा दादी की हथेली पर त्रिशूल और चतुर्भुज देखती है। और उसकी जानकारी दादी से लेती है।
दादी तीनों बच्चों को त्रिशूल और चतुर्भुज के विषय में बताती है कि "जिसकी हथेली पर यह चतुर्भुज और त्रिशूल होता है , उसे पूर्वाभास हो जाता है, भूतकाल और भविष्य का।
दादी से बातें करते करते तीनों बच्चों को नींद आ जाती है। और रोज की तरह सुबह जल्दी उठकर अपने विद्यालय चले जाते हैं।
दादी घर का काम निपटा कर, गाय भैंसों को चारा डालकर आंगन में छोटा सा हुक्का लेकर धूप में बैठकर पीती रहती थी।
गांव का कोई छोटा बच्चा जब लगातार रोता रहता था तो उसके माता पिता बच्चे को लाकर दादी की गोद में लिटा देते थे।
दादी बच्चे को गोद में लेने के बाद घर के अंदर से सरसों का तेल गर्म करके आंगन में लाती थी। और उस गरम सरसों के तेल से बच्चे की गर्दन पीठ कंधों पर अच्छी तरह मालिश करती थी। दादी की मालिश से बच्चा रोना बंद कर देता था। और गहरी नींद में सो जाते थे। जब बच्चा गहरी नींद में आराम से सो जाता था।
तो उसके माता-पिता बहुत खुश होते थे और दादी से इसका राज पूछते थे।
दादी बताती थी कि "छोटे बच्चे को झटके से नहीं उठाना चाहिए, इससे उनकी गर्दन की हसली गिर जाती है। और बच्चे को हसली गिरने से बहुत तकलीफ होती है"यह सुनकर बच्चे के मां-बाप दादी से बच्चे को आशीर्वाद दिला कर खुश होकर अपने घर चले जाते थे।
कभी-कभी गांव के किशोर बच्चों के पेट का दर्द जब ठीक नहीं होता था तो उनके मां-बाप भी बच्चों को दादी के पास लाते थे।
दादी पेट पर हाथ रखकर ही बता देती थी की इसके पेट की नाप गिर गई है। दादी बताती थी कि नाप गिरने का कारण होता है वजन उठाना या झटके से किसी चीज को पकड़कर जुलना। दादी दो-तीन दिन की मालिश से पेट की नाप को ठीक कर देती थी।
दादी को किसी का भी दुख दर्द कम करने में मन की शांति महसूस होती थी।
हर रविवार को शम्मी रवि जंगल में सूखी लकड़ी लेने जाते थे खाना बनाने के लिए।
जंगल में पहुंचकर जब शम्मी रवि सूखी लकड़ी काटते हैं तो इनके सामने एक हिरण का छोटा बच्चा आकर खड़ा हो जाता है।
शम्मी रवि उस छोटे हिरण के बच्चे को पकड़ कर घर ले आते हैं।
दादी शम्मी और रवि के साथ हिरण के बच्चे को देखकर कहती है "मुझे पहले ही पूर्वाभास हो गया था कि तुम आज हिरण के बच्चे को लाओगे"
हिरण के बच्चे के आने से उनके घर में रौनक हो जाती है।
शम्मी रक्षा रवि एक बड़ी सी टोकरी में गर्म कंबल बिछाकर, हिरण के बच्चे को उस में बिठा देते हैं। और उस टोकरी को अपनी चारपाई के पास रख लेते हैं।
जब वह सुबह स्कूल जाते हैं तो अपने घर के आंगन में हिरण के बच्चे के साथ खूब भाग भाग कर खेलते हैं।
अब इन बच्चों का रोज का यही काम था कि विद्यालय जाने से पहले हिरण के बच्चे के साथ जी भर कर खेलना।
दादी हमेशा की तरह घर का काम खत्म करके, धूप में चारपाई पर बैठ जाती थी। और हुक्का पीती रहती थी।
हिरण का बच्चा दादी की चारपाई के आसपास, उछल कूद करके खेलता रहता था। हिरण के बच्चे को देखकर दादी का भी समय अच्छे से बीत जाता था।
एक दिन दादी रक्षा शम्मी रवि से कहती है कि "इस हिरण के बच्चे को अपने आंगन की ऊंची बाउंड्री पर नहीं चढ़ने देना, मुझे पूर्वाभास हो रहा है, यह वहां से गिरकर गंभीर चोट खाएगा।"
दादी की पूर्वाभास की बात सच हो जाती है, क्योंकि एक दिन हिरण का बच्चा आंगन की ऊंची बाउंड्री से चढकर नीचे गिर जाता है और उसके पैर में गंभीर चोट लग जाती है।
दादी हल्दी चूना सरसों के तेल में मिलाकर चूल्हे पर गर्म कर कर हिरण के पैर से कपड़े में लगाकर बांध देती है।
हिरण का बच्चा अपनी शरारत से बार-बार कपड़े को निकाल देता था।
दादी दुखी होकर हिरण के बच्चे के दो थप्पड़ मारकर, उसे प्यार से गोदी में लेकर उसके पैर से हल्दी चुने का कपड़ा दोबारा बांध देती है।
बच्चों के विद्यालय जाने के बाद, दादी रोज की तरह धूप में हुक्का लेकर बैठ जाती है। हिरण का बच्चा भी दादी के आसपास उछल कूद कर के खेल रहा था।
उसी समय गांव का एक आदमी आता है। और दादी को अपने साथ लेकर चला जाता है क्योंकि उसके छोटे बच्चे की ज्यादा तबीयत खराब हो गई थी।
उस आदमी के घर पहुंचकर, दादी को पूर्वाभास होता है कि आज हिरण के बच्चे के साथ कोई बड़ी दुर्घटना होने वाली है।
कुछ समय बाद ही गांव के लोग हाथ में लाठी डंडे लेकर जंगल की तरफ भागते हैं।
उसी समय दादी के पास एक गांव का बच्चा आता है और कहता है "दादी तुम्हारे हिरण के बच्चे को एक भेड़िया अपने नुकीले दांतों से उसकी गर्दन पकड़कर घसीटते हुए जंगल की तरफ ले करभाग गया है।"
यह बात सुनकर दादी गुमसुम हो जाती है क्योंकि दादी को पूर्वाभास हो चुका था कि यह घटना होने वाली है।
उस दिन से दादी अपनी इस शक्ति को श्राप समझने लगी थी क्योंकि दादी का मानना था कि मनुष्य को वर्तमान में जीना चाहिए, क्योंकि वर्तमान से ही भविष्य बनता है।
पृथ्वी सिंह बेनीवाल
24-Dec-2022 08:37 AM
शानदार
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Punam verma
24-Dec-2022 07:46 AM
Very nice
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Rakesh rakesh
24-Dec-2022 12:19 AM
शानदार
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